बुधवार, 9 मई 2012

खिलाड़ियों की क्षमता बढ़ाने का जरिया बना मशरूम'

मशरूम वैज्ञानिकों का कहना है कि चीन में स्वर्णपदक विजेता खिलाड़ियों की कार्यक्षमता बढ़ाने में मशरूम की एक प्रजाति 'ऋषि मशरूम' (गेनेडर्मा) कारगर साबित हुई। भारत में मधुमेह, रक्तचाप नियंत्रण व मानसिक तनाव कम करने मशरूम के उत्पाद उपयोगी साबित हो रहे हैं। छत्तीसगढ़ में मशरूम उत्पादन की व्यापक संभावनाएं हैं।
अब स्व सहायता समूह चला रही महिलाओं ने मध्यान्ह भोजन में मशरूम से पापड़-अचार परोसने की शुरूआत की है। धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में किसान मशरूम (फुटू) की खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं। प्रदेश में 1988 से अखिल भारतीय समन्वित मशरूम अनुसंधान परियोजना केन्द्र सरकार की ओर से प्रारंभ की गई। प्रदेश के मुख्य मशरूम अनुसंधान इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर में संचालित है। मशरूम परियोजना प्रमुख डॉ. जीके अवधिया ने 'देशबन्धु' से खास बातचीत में बताया कि अभी तक चार से पांच हजार महिलाओं, पुरूषों व महाविद्यालयीन छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण के माध्यम से लाभान्वित किया जा चुका है। प्रदेश में मशरूम की तीन प्रजातियों की खेती प्रमुखता से हो रही है। दूधिया मशरूम, पैरा मशरूम, प्लूरोट्स फ्लोरिडा। ऑस्टर मशरूम छत्तीसगढ़ के जलवायु में सबसे ज्यादा उत्पादन देने वाली लोकप्रिय किस्म है।
छत्तीसगढ़ के अचानकमार जंगल से खोज के दौरान प्राप्त ऑस्टर मशरूम की खूबी ये है कि यह पन्द्रह दिन में 60 प्रतिशत तक उत्पादन देने की क्षमता रखती है। धान के पैराकुट्टी, गेहूं, सोयाबीन, सरसो के भूसा, ज्वार व मक्के की कड़वी आदि मशरूम उत्पादन के उचित माध्यम है। बीज (स्पान) देखने में सफेद रेशेदार फफूंद से घिरा होता है। कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रोटीन का खजाना है मशरूम। क्योंकि इसमें 9 एमीनो एसिड होते हैं
पौष्टिक आहार के रूप में मशरूम का विशेष स्थान है। आस्टर मशरूम में उच्च गुणवत्ता की प्रोटीन 26.6 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 50.7 प्रतिशत, रेसेदार तत्व 13.3 प्रतिशत, वसा 2 प्रतिशत, खनिज लवण, कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा, सोडियम, पोटेशियम की प्रचुर मात्रा होती है। मशरूम में शर्करा की मात्रा नगण्य है इसलिए मधुमेह पीड़ितों के लिए बहुत लाभदायक होता है। मशरूम में कई प्रकार के लाभकारी विटामिन होते हैं जो शरीर की सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाते हैं। खासकर के बच्चों व गर्भवती महिलाओं के लिए मशरूम ज्यादा फायदेमंद है। कुपोषण से बचाव के लिए मशरूम व इससे बने सहउत्पादों का प्रयोग बढ़ा है।
मशरूम उत्पादन: सबसे ज्यादा मशरूम उत्पादन पंजाब में होता है। फिर हिमांचल प्रदेश, हरियाणा, जम्मू काश्मीर, .प्र., महाराष्ट्र का स्थान है। छत्तीसगढ़ मशरूम उत्पादन में नवें स्थान पर है। प्रदेश में रायपुर, अंबिकापुर, बिलासपुर, जगदलपुर, कवर्धा जिले में मशरूम की खेती विशेष रूप से होती है। सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में उत्पादन व नि:शुल्क प्रशिक्षण की व्यवस्था है। 14 कृषि विज्ञान केन्द्र प्रदेश में संचालित है।
बस्तर, सरगुजा में सबसे ज्यादा उत्पादन: मशरूम वैज्ञानिक डॉ. एसएस चंद्रवंशी ने बताया कि छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक रूप से सूईगोड़ा जंगल में मशरूम की खेती सबसे अच्छी होती है। बस्तर व सरगुजा के सूई के पेड़ों के भरमार होने के कारण वहां सबसे ज्यादा मशरूम की पैदावार होती है। जो आलू जैसे दिखते हैं। श्री चंद्रवंशी ने बताया कि इस क्षेत्र में जुलाई से सितम्बर तक बरसात के दिनों में सरईबोड़ा नामक मशरूम की किस्म भारी मात्रा में होती है जिसकी बाजार में मांग ज्यादा है।
तर्रा ग्राम में घर-घर मशरूम: मशरूम वैज्ञानिकों की पहल पर ग्राम तर्रा के ग्रामीणों ने मशरूम की खेती को आमदनी का प्रमुख जरिया बनाया है। डॉ. जीके अवधिया ने बताया कि मशरूम परियोजना के तरह हमने तर्रा गांव गोद लिया है। यहां घर-घर मशरूम उगाया जा रहा है। इसमें लागत भी कम है और 60 प्रतिशत शुध्द मुनाफा मिलता है। किसानों ने कुटीर उद्योग बतौर मशरूम उत्पादन लेना प्रारंभ कर दिया है। धमतरी, कुरूद, अंबिकापुर, कवर्धा, जगदलपुर के बाजारों में मशरूम की मांग सबसे ज्यादा है। बाजार में मशरूम के अलग-अलग किस्म की कीमत 80 से 100 किलो तक है। पैदावार में 30 से 40 दिन लगता है। एक फसल से चार-पांच बार मशरूम मिलते हैं।

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