सोमवार, 16 अप्रैल 2012

मशरूम की खेती कर रही मालामाल

विजय ठाकुर, पटियाला : मशरूम की खेती छोटे-बड़े किसानों के लिए आय का बेजोड़ साधन साबित हो रही है। सबसे अच्छी बात यह है कि बड़े किसान ही नहीं बल्कि छोटे किसान भी मशरूम की खेती आसानी से कर पा रहे हैं। कम जगह में अधिक से अधिक फायदा देने वाली मशरूम की खेती दिन-ब-दिन लोकप्रिय होती जा रही है।

बागवानी विभाग से मात्र सप्ताह भर की ट्रेनिंग लेकर मशरूम की खेती की जा सकती है। मशरूम अब वेजीटेरियन लोगों की पहली पसंद बन गई है। इसकी डिमांड साल भर बनी रहती है। सर्दी के साथ ही मशरूम बीजाई का सीजन शुारू हो जाता है। साल में दो बार इसकी खेती की जा सकती है।

पहली बार खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी है कि वे मशरूम की खेती करने से पहले एक सप्ताह की ट्रेनिंग जरूर लें, उसके बाद तूड़ी के कंपोस्ट को फंगस मिलाकर खेतों को तैयार करें, खेतों के ऊपर शेड जरूर डाल दें ताकि मशरूम की बिजाई को धूप से बचाया जा सके।

बागवानी विभाग के मशरूम विशेषज्ञ डा. निरवंत सिंह का कहना है कि 10/10 के कमरे के बराबर खेत में लगभग छह केजी बीज डाला जा सकता है। बीजाई के 15 दिन बाद बीज में अंकुर आने लगता है। उसके बाद प्रति दिन स्प्रे पंप से खेतों में पानी देना चाहिए। फरवरी में मशरूम बीजाई करने वाले किसानों को मई के पहले सप्ताह से कटाई शुरू करनी चाहिए। इसकी कटाई धूप निकलने से पहले की जानी चाहिए अन्यथा मशरूम को लाल होने का खतरा रहता है। किसान जमीन से आठ फीट ऊपर जमीन पर भी खेती कर सकते हैं।

निरवंत सिंह कहते हैं कि 10/10 के कमरे के बराबर खेत से 150 से 200 किलो तक मशरूम पैदा की जा सकती है। मशरूम मार्केट में 75 से सौ रुपये प्रति किलो तक बिकती है। खासकर शादी के सीजन में इसकी कीमत तो सौ रुपये के भी पार हो जाती है। वे कहते हैं कि एक सौ वर्ग मीटर के छोटे से टुकड़े से छोटे किसान लगभग 20 हजार रुपये तक की कमाई कर सकता है।

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